Zero Ki Khoj Kisne Ki Thi - जीरो की खोज किसने की थी

Zero Ki Khoj Kisne Ki Thi  शून्य की खोज भारत में हुई थी। आर्यभट्ट को शून्य का जनक माना जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने ग्रंथ आर्यभटीय के गणितपाद 2 में एक से अरब तक की संख्याएं बताकर लिखा है।
हालांकि, शून्य की अवधारणा का विकास आर्यभट्ट से पहले भी हुआ था। मेसोपोटामिया में 2400 ईसा पूर्व में शून्य का प्रयोग एक खाली स्थान के रूप में किया जाता था। लेकिन आर्यभट्ट ने पहली बार शून्य को एक संख्या के रूप में परिभाषित किया और इसके लिए एक प्रतीक विकसित किया।
ब्रह्मगुप्त ने 628 ईस्वी में शून्य और उसके सिद्धांतों को परिभाषित किया और इसके लिए एक प्रतीक विकसित किया जो कि संख्याओं के नीचे दिए गए एक डॉट के रूप में था। इस प्रतीक को अरब जगत में "सिफर" (अर्थ- खाली) कहा गया, जो बाद में लैटिन, इटैलियन, फ्रेंच आदि भाषाओं में "जीरो" (zero) बन गया।
शून्य की खोज गणित में एक क्रांतिकारी घटना थी। इससे पहले, गणितज्ञों को सरल अंकगणितीय गणना करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था।
शून्य की अवधारणा के साथ, जटिल समीकरणों को सुलझाना और गणना करना संभव हो गया। शून्य का प्रयोग आज भी गणित, विज्ञान, इंजीनियरिंग और अन्य क्षेत्रों में किया जाता है।
इस प्रकार, शून्य की खोज भारत में हुई थी। आर्यभट्ट और ब्रह्मगुप्त ने शून्य की अवधारणा को विकसित और परिभाषित किया। शून्य की खोज गणित में एक महत्वपूर्ण घटना थी जिससे गणित के विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिला।

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Bhaskar Singh

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